छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में मीडिया कवरेज पर सेंसरशिप बीजेपी का अघोषित ख़ौफ़

मीडिया का प्रथम दायित्व जनता के प्रति है, सरकार के प्रति नहीं!”
रायगढ़ 18 जून आपकी आवाज : रायगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में मीडिया के प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने पर सरकार से पूछा कि किस लोकतंत्र में ऐसा होता है कि चौथे स्तंभ को बोलने के लिए भी इजाजत लेनी पड़े?”
अनिल शुक्ला ने कहा मीडिया को हर उस जगह में जाकर रिपोर्ट की अनुमति होनी चाहिए जहां आम लोगों के हित जुड़े हुए कार्य होते हैं ।मीडिया लोकतंत्र में न्याय के रक्षक की तरह होता है जो हर गलत कार्य पर नजर रखता है इसलिए ही मीडिया को लोकतंत्र के प्रहरी होने की संज्ञा मिली हुई है।
इस फरमान के लागू किये जाने से केवल पूर्व-लिखित अनुमति मिलने पर ही पत्रकार किसी रिपोर्टिंग के लिए अस्पताल परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। यही नहीं, कवरेज की समय-सीमा, विषयवस्तु और प्रक्रिया तक अब अस्पताल प्रशासन तय करेगा।
अनिल शुक्ला ने सरकार से पूछा कि इस सेंसरशिप के जारी करने का असल मक़सद क्या है?
“गोपनीयता” की आड़ या असफलताओं पर पर्दा ?
अनिल शुक्ला ने सरकार के इस तर्क को खारिज किया कि यह नियम मरीजों की निजता की रक्षा के लिए लागू किए गए हैं। इस पर अनिल शुक्ला ने कहा कि”गोपनीयता ऑपरेशन थिएटर में हो सकती है, या पीड़ित परिवारों के लिए हो सकती है, लेकिन जनता से जुड़े सवालों पर पर्दा डालना सरासर तानाशाही है। जब मरीज खुद बोलना चाहता है, तो उसे चुप कराना नाजायज़ है।”
शुक्ला ने आगे कहा कि मीडिया अगर किसी अस्पताल में अव्यवस्था, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, या दवाइयों की कमी पर रिपोर्टिंग करता है, तो वह जनहित का कार्य कर रहा होता है, ना कि किसी की गोपनीयता का उल्लंघन। आज जब सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता को अहमियत दी जा रही है तो
“सच छुपाने से नहीं, सुधार से बनेगी व्यवस्था!”
शुक्ला ने आगे कहा कि यदि कोई मीडिया संस्थान भ्रामक या गलत जानकारी प्रसारित करता है, तो भारतीय क़ानूनों में पहले से ही मानहानि, प्रेस परिषद, और आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।
“मगर इससे पहले ही मीडिया की आवाज़ को दबाना, प्रेस को एक ‘प्रोटोकॉल दफ्तर’ बना देना, बेहद खतरनाक प्रवृत्ति है।
अनिल शुक्ला ने कहा की कांग्रेस पार्टी मीडिया के पक्ष में है और इस प्रेस सेंसरशिप के फैसले की कड़ी आलोचना करते हैं, सरकार ने अपनी विफलता छुपाने के लिए मीडिया पर बैन लगाया है। हम इस तुगलकी फरमान का विरोध करते हैं क्योंकि ये फरमान सीधे-सीधे मरीजों के हितों के खिलाफ है।

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